किसी कविता को सुनाने या पढ़ाने से पहले उसके बारे में अगर कवि को अपनी ओर से कुछ कहने की जरूरत पड़े तो यह उस कविता का कमजोर पक्ष हो सकता है। जाहिर है इस कविता के बारे में मैं अपनी ओर से कुछ कहना नहीं चाहता। पर यह भरोसा है कि पाठकों की ओर से भी इस पर कई नई बातें आ सकती हैं। कुछ ऐसी बातें जिन पर संभवतः मेरी निगाह भी नहीं गई है। फिलहाल पेश है कविता 'बहुत दिनों बाद' :
Thodi si Bewafai....
4 years ago
4 comments:
बहुत सुंदर .जितनी जोश पूर्ण यह लिखी गई उतने ही दिल से आपने इसको बोला है ..
वाकई ...कविता अपने आप बोल रही है.....
आज सुबह यही तो महसूस किया था मैंने... ऐसी मौंजू कविता लाये हैं आप.
आज के दौर पर सटीक प्रश्न हैं.
कुछ भी कहने की आवश्यक्ता नहीं-रचना खुद सब कुछ कह गई. बहुत उम्दा.
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