जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
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Wednesday, February 27, 2008

अंतर

मैं

तुम्हारे लिए
उपमाएं चुनता हूं
शब्द ढूंढ़ता हूं
और
अपनी तमाम खुशी
तुम्हारे नाम करता हूं

पर तुम
मेरे लिए पेश करती हो
सिर्फ कुंठा
हताशा
निराशा
और भटकाव।

1 comment:

Unknown said...

शायद इसी तरह
हम दोनो पूर्ण हैं....