जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
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Monday, February 4, 2008

महानगर

इस कस्बे में
समझौता नहीं होता
किसी चीज़ की
कोई सीमा नहीं।
सिर्फ़
मतलब के साथ
भटकते लोग हैं
सिपाही हैं, सलाहकार हैं
पटवारी हैं, बनवारी हैं
और हर तरफ़
ज़िंदगी
आदमी पर भारी है।

यहां
न कोई किसी का बाप है
न कोई किसी की मां
न कोई भाई है
और न कोई बहन
दरअसल,
सभी अपने सपने में
मस्त हैं
इंसानियत का खंभा
ध्वस्त है।

(प्रसारित)

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