जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
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Monday, January 20, 2014

गले मिल कर जो दबा देते हैं गला
जरा सोचो कैसे करेंगे आपका भला।

जाने का उसके नहीं कोई अफसोस
माहौल रहेगा खुशनुमा, शैतान टला।

छांछ भी पीता है वह फूंक-फूंककर
अब सतर्क है बहुत, दूध का जला।

अब भी मुझे प्यारे हैं सारे दोस्त
यह बात है जुदा कि सबने छला।

इतना तल्ख न हो, ऐसा खौफ न पाल
कि खुशियां भी दिखने लगें तुम्हें बला।

तू हंसता है तो लगता है बेहद अच्छा
देख जलाने वालों का दिल अब जला।

अपनी बेगुनाही बड़ी देर तक समझाई
अब जो समझना है समझ, मैं चला।

दूसरों का दोष क्यों ढोता है दिल पर
देख, कहा मेरा मान, खुद को न गला।

शिकवा किसी से, न शिकायत कोई
यारो! सीख गया मैं, जीने की कला।