इतना भी बुरा नहीं यह वक्त, जितना सब कोसते हैं
कल की कल देखेंगे, हम तो बस आज की सोचते हैं
बेफिक्र होकर तू सपने पाल, भर ले अपनी उड़ान पूरी
अपनी जिद पर अड़े हम, शायद कुछ ज्यादा सोचते हैं
दिल्ली में तो रोशनी है, पर गांव का है मेरे बुरा हाल
कैसे छोड़ आए बूढ़े बाबा को, रात-दिन हम सोचते हैं
चमचमाती सड़कों से भली अक्सर लगती हैं पगडंडियां
थोड़े पैसे जुट जाएं तो टिकट कटाने की हम सोचते हैं
पहाड़ों-सी रात गुजरी, गुजर गया जो था गया-गुजरा
चलिए अब संभलने की राह ढूंढें, आप क्या सोचते हैं
बड़े शहर में दर्द बड़ा है, बेफिक्र होकर तुम लौटो गांव
मिलकर दुख साझा करेंगे, यहां हमसब ऐसा सोचते हैं
कल की कल देखेंगे, हम तो बस आज की सोचते हैं
बेफिक्र होकर तू सपने पाल, भर ले अपनी उड़ान पूरी
अपनी जिद पर अड़े हम, शायद कुछ ज्यादा सोचते हैं
दिल्ली में तो रोशनी है, पर गांव का है मेरे बुरा हाल
कैसे छोड़ आए बूढ़े बाबा को, रात-दिन हम सोचते हैं
चमचमाती सड़कों से भली अक्सर लगती हैं पगडंडियां
थोड़े पैसे जुट जाएं तो टिकट कटाने की हम सोचते हैं
पहाड़ों-सी रात गुजरी, गुजर गया जो था गया-गुजरा
चलिए अब संभलने की राह ढूंढें, आप क्या सोचते हैं
बड़े शहर में दर्द बड़ा है, बेफिक्र होकर तुम लौटो गांव
मिलकर दुख साझा करेंगे, यहां हमसब ऐसा सोचते हैं
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