खूबसूरत शहर की यह अजब बात है
संभलो यारो, कदम-दर-कदम घात है।
मेरे दिए खून से बची जिसकी जिंदगी
वही मुझसे पूछता है, तेरी क्या जात है।
खुद ही सबको लड़नी है अपनी लड़ाई
किसका भरोसा, अब किसका साथ है।
तू सिर्फ अपना काम किए चला चल
मत सोच जिंदगी शह या कि मात है।
मेरी हिम्मत का राज अब तू भी सुन
मेरी पीठ पर यारो, अपना ही हाथ है।
संभलो यारो, कदम-दर-कदम घात है।
मेरे दिए खून से बची जिसकी जिंदगी
वही मुझसे पूछता है, तेरी क्या जात है।
खुद ही सबको लड़नी है अपनी लड़ाई
किसका भरोसा, अब किसका साथ है।
तू सिर्फ अपना काम किए चला चल
मत सोच जिंदगी शह या कि मात है।
मेरी हिम्मत का राज अब तू भी सुन
मेरी पीठ पर यारो, अपना ही हाथ है।
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