जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
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Friday, January 24, 2014

खूबसूरत शहर की यह अजब बात है

खूबसूरत शहर की यह अजब बात है
संभलो यारो, कदम-दर-कदम घात है।

मेरे दिए खून से बची जिसकी जिंदगी
वही मुझसे पूछता है, तेरी क्या जात है।

खुद ही सबको लड़नी है अपनी लड़ाई
किसका भरोसा, अब किसका साथ है।

तू सिर्फ अपना काम किए चला चल
मत सोच जिंदगी शह या कि मात है।

मेरी हिम्मत का राज अब तू भी सुन
मेरी पीठ पर यारो, अपना ही हाथ है।

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