जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

Hindi Roman(Eng) Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam

 
जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
'जिरह' की किसी पोस्ट पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।

Tuesday, January 21, 2014

मन की बात बोलना कोई मर्ज नहीं

मन की बात बोलना कोई मर्ज नहीं
मुझसे कुछ भी बोलो, कोई हर्ज नहीं

सीधेपन पर मेरे तुम मत करो शक
घटनाएं याद हैं, नाम कोई दर्ज नहीं

हां यह सही है कि मैं जिद्दी हूं बहुत
उतारूंगा सारे, रखूंगा कोई कर्ज नहीं

जरूरी नहीं कि तुम रखो मेरा ख्याल
लगे जो मजबूरी, वह कोई फर्ज नहीं

अनगढ़ रास्तों पर मैंने चलना सीखा
पर अपनायी अब तक कोई तर्ज नहीं

ला दे मुझको तू अपनी सारी उदासी
कि यह हक है मेरा, कोई अर्ज नहीं

No comments: