जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

Hindi Roman(Eng) Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam

 
जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
'जिरह' की किसी पोस्ट पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।

Wednesday, May 27, 2009

आप भी देखें मेरी दुर्दशा


रमणजीत के हर इलस्ट्रेशन में एक नई चमक दिखती है, एक नया आयाम दिखता है। उन्होंने मेरे आग्रह पर यह इलस्ट्रेशन तैयार किया। और सच कहूं तो इस इलस्ट्रेशन को देखने के बाद मेरा परिचय मेरे चेहरे की कुछ लकीरों से हुआ। कितना रोमांचक होता है अपने चेहरे को दूसरे के ब्रश से जानना! वाकई, रमणजीत बढ़िया कलाकार हैं।

12 comments:

Mohinder56 said...

भईये इसमें तो आप खाते पीते घर के चिराग लग रहे हैं :) हा हा.. बढिया है

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

हे भगवान.

ramanjit said...

thankyou sir for adding my work.

रंजना said...

Kalakaar kuchh bhi kar sakte hain...

Aadarsh Rathore said...

वाह.... रचनात्मकता इसी को कहते हैं
ब्रेकिंग द रूल्स....

नमिता जोशी said...

Anurag after 20 years!!!!!!!!
great work by Raman indeed!

Namita

Manoj Sinha said...

रमण ने बढ़िया काम किया है. तुमसे बेहतर तुम्हारा कार्टून है. बूढे हो गए हो लग रहा है.

Pooja Prasad said...

कलाकारी तो गजब की है ही। दो राय नहीं। पर ये एक ही व्यक्ति में समाए दो आदमी लग रहे हैं..

रंजू भाटिया said...

बढ़िया कर दिया उन्होंने तो आपके हुलिए को :) खूब जम रहे हैं आप इस रूप में

Amit said...

सच कहते हैं खूबसूरती देखने वाले की नज़र में होती है

MANOJ said...

अनुराग बाबु यदि तुम अपने सेहत का ख्याल नहीं रखोगे तो भरी जवानी में इससे भी बदतर हो जाओगे

तुम्हारा शुभचिंतक

मनोज

Ek ziddi dhun said...

bhabhi ko kaise lage?