जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
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Thursday, May 7, 2009

मत करें दान, करें मतदान

गीदड़ कहता शेर से
नया जमाना देख
एक वोट तेरा पड़ा
मेरा भी है एक

पता नहीं किसकी पंक्तियां हैं यह। पर यह सच है कि वह जमाना लद गया जब शेर जैसे लोग बाकी तमाम लोगों को गीदड़ सरीखा समझते थे। अपनी गीदड़ भभकियों से सबको डराते फिरते थे। साथियो, लोकतंत्र का यह पर्व इस बार हमारे लिए शर्मनाक हादसा न बने, इसके लिए बेहद जरूरी है कि हम अपनी खोल से बाहर निकलें। विचार करें, अंधों की जमात में बैठे किस काने राजा को वोट देना है। ऐसे ही बदलेंगी स्थितियां। आज अंधों में काना राजा दिख रहे हैं कल कानें राजाओं के बीच आंख वाले सेवक दिखलायी देंगे। इस बदल रही व्यवस्था को पूरी तरह हम और आप ही बदल सकते हैं इसलिए वाकई यह जरूरी है कि तमाम जरूरी काम को हाशिये पर रख इस जरूरी महापर्व में हम शरीक हों। अंत में कहना सिर्फ इतना है कि मत करें दान, करें मतदान।

4 comments:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

हमने तो कर दिया.....आप भी कर आयें....हमको पढाते हैं.....खुद भी पढ़ आयें....!!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

आप हमारी टिप्पणियों को चेपेंगे...!!....इतना डरते हैं....तो हम अपनी टिप्पणियाँ क्यूँ भेजेंगे......??

Pramendra Pratap Singh said...

अच्‍छी अपील

Aadarsh Rathore said...

दुर्भाग्वश मतदान नहीं कर पाया