जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

Hindi Roman(Eng) Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam

 
जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
'जिरह' की किसी पोस्ट पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।

Wednesday, August 6, 2008

जब निगाहें बुलाएं...

मेरे छुटपन के एक साथी ने अपने अब तक के जीवन में महज एक शेर लिखा है। पर यह शेर मेरे भीतर अब भी शोर मचाता है।

आंखों में रहकर चले जाने वाले
निकले हैं आंसू तुझे ढूंढ़ने को।

उन आंसुओं की आवाज आप भी सुनें। उनसे बनती धार आप भी महसूसें।


6 comments:

Anonymous said...

अनुरागजी
वाकई उम्दा है। बधाई।

हिन्दीवाणी said...

Really your voice is too good. Your bolg with these new features is valuable for everyone. congrat.

Udan Tashtari said...

आपकी कमेन्ट्री का इन्सर्शन सटीक है, सही प्लेसमेन्ट-वाह!! बहुत खुब!!

रश्मि शर्मा said...

वाह क्‍या बात है। हम तो एकदम डूब गए---

आलोक सिंह भदौरिया said...

बहुत अच्छा भइया. हफ्ते भर की भाग दौड़ के बाद आज घर आया. आपके नए प्रयोग से मुलाकात हो गई. बहन भी साथ थी, बोली ऐसा इंसान कभी दुखी नही रह सकता, कुछ नया करने की चाह उसे हमेशा आगे बढाती रहेगी. आप वास्तव में अन्वेषी ही हैं.

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर ..आपकी आवाज़ और यह गाना दोनों ही बहुत अच्छे लगे