जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
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Monday, April 7, 2008

तेरे साथ का मतलब


जाने ये कैसी अजब रात है
भीतर गहरे दबी कोई बात है

नाकाम हैं तुम्हें भूलने की कोशिशें
कि कोशिशों पर यादों का घात है

तू अपनी धुन में काम किये चला चल
मत सोच कि ज़िंदगी शह या कि मात है

मेरी हिम्मत का राज़ तू भी सुन
मेरी पीठ पर अपना ही हाथ है

वाकई मौत से भी भिड़ता रहूंगा मैं
जिंदगी में जब तलक तेरा साथ है

4 comments:

Ashish Pandey said...

Cool Stuff... Keep Rocking....

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

Reetesh Gupta said...

तू अपनी धुन में काम किये चला चल
मत सोच कि ज़िंदगी शह या कि मात है

बहुत खूब ...बधाई

poonam pandey said...

very true