जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
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Tuesday, January 15, 2008

स्वागत नये वर्ष का

साथियो,
शुभकामनाओं से पहले
एक सवाल
तमाम कौशल के बाद भी
कब तक होते रहोगे हलाल?

छोड़ो यह मलाल
कि जो बजाते रहे
सालों भर गाल
उनके हाथ में क्यों है
रेशमी रुमाल?

हां साथियो,
सच्चे मन से जलाओ मशाल
जिसकी रोशनी बयां कर सके
तुम्हारा हाल
तभी तुम बन सकोगे मिसाल
देखो, दहलीज पर खड़ा है
उम्मीदों का नया साल।

1 comment:

Avinash Das said...

क्‍या बात है अनुराग भैया। कमाल का ब्‍लॉग बनाया। अब इस पर जारी रहिए। हम आपके साथ हैं।