हुस्न हाजिर है मुहब्बत की सजा पाने को। पर ये पंक्तियां सुनकर सजा देने के लिए बढ़े पांव जड़ हो जाते हैं। मुझे लगता है... अरे कहां मैं अपनी बात सुनाने में लग गया ! मेरे लगने को मारें गोली, आपको क्या लगता है यह जरूर बताएं...
Thodi si Bewafai....
4 years ago
5 comments:
हम मौज में टिप्पणी लिख रहे हैं, सीरियसली सोच समझ कर लें, ;-)
इस पोस्ट को पढते ही ज्ञानजी की भाषा में कहें तो एक बडा भक्क सा रियलाईजेशन हुआ। मदनमोहनजी ने इस गीत को क्या "तालीबान" के लिये लिखा था? आज ही तालिबान ने एक प्रेमी युगल को गोली मार दी। कन्या ने शायद ये गीत गाया होता तो शायद लडका बच जाता।
तब भी तो हुस्न ने ही सजा पायी थी जब पाकिस्तान में एक मासूम लडकी को कोडे लगाये थे।
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दूसरी टिप्पणी:
गीत के बीच में आपके प्रश्न पूछने का नजरिया बेहद पसन्द आया। बेहतरीन पाडकास्ट बनाने के लिये बधाई।
आपका शीर्षक पढ़ कर चौंक गया ,दोबारा देखा अनुराग अन्वेषी का ही ब्लॉग है...फिर उत्सुकता हुई.....वैसे हुस्न हमेशा अपनी हाजिरी बजाता रहेगा जी....
WAAH !! Aur kya kahun....Waah !! Waah !!
इसको जब आज सुना तो लगा कि आप इतनी अच्छी आवाज़ के मालिक हैं कहीं रेडियो जाकी के रूप में कोशिश क्यों नहीं करते अनुराग जी .. बहुत ही प्रभावित करने वाले अंदाज़ में आपने इस गीत को नया रूप दिया है ..बहुत अच्छा लगा यह अंदाज़
आपकी आवाज ने इस गाने को और कर्णप्रिय बना दिया है.इस गाने को कभी इतने ध्यान से नहीं सुना था.वाकई बहुत भावनात्मक गीत है.इसकी तरफ ध्यान दिलवाने के लिए शुक्रिया.....आपको ये जानकर बिलकुल हैरानी नहीं होगी की इस गाने को मैं अब तक कई बार सुन चुकी हु...और बहुतों को सुनवा भी चुकी हु. दीपा
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