जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
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Sunday, March 9, 2008

होली से पहले भाई के नाम एक पाती


फाग के महीने में
मन के रंग उड़ गये हैं
बेलौस हुए हैं मौसम
आस्था के रंग सड़ गये हैं

गांव में एक सड़क बनी है
सरपंच और ठीकेदार में तनी है
रमुआ का लड़का बहुत गुनी है
इलाज के अभाव में मां
जली है, भुनी है


अजब है हाल
उठता रहा सवाल
मन में मलाल
तो कैसे खेलें
फिर लोग गुलाल
बच्चे हैं बेहाल
सारे चेहरे लाल-लाल
जीना हुआ मुहाल


ख़ैर, तुम अपनी सुनाओ
सब सही है, सलामत है
या फिर,
कोई कयामत है?


वैसे, जानता हूं
सब जगह होती है
एक ही कहानी
लोगों की ज़बानी
उनकी परेशानी
नौकरी करो या करो किसानी
जब भी सोचोगे सुंदर भविष्य
तो मरती है नानी

पढ़े हुए बच्चे, नौकरी करते बच्चे
अपना परिवार, सुंदर-सी बीवी
घर में हो रेडियो-टीवी...
ये सब सपने हैं
थोड़े-बहुत अपने हैं

साहब ने खाया पपीता
मन तुम्हारा क्यों हुआ तीखा
अपनी-अपनी क़िस्मत है
मेरी आंखें विस्मित हैं
साहब खाते हैं दूध-मलाई
इलाज के बग़ैर
मरती है सुंदर की भौजाई।
यह कहां का इंसाफ है?
पुण्य है यह या कि पाप है?
यहां तो समय पर गधा भी बाप है।


शेष सब कुशल है
फिर भी मन विकल है
संसार है समंदर
तो जीवन है नाव
क्या करूं?

ढूंढ़ रहा हूं अपनी ठांव।
(प्रसारित)

6 comments:

Reetesh Gupta said...

शेष सब कुशल है
फिर भी मन विकल है
संसार है समंदर
तो जीवन है नाव
क्या करूं?


ढूंढ़ रहा हूं अपनी ठांव।

बहुत सुंदर कविता लगी...अच्छा लगा पढ़कर...बधाई

Udan Tashtari said...

वाह!! इस बेहतरीन रचना के लिये बधाई.

mehek said...

bahut bhavuk sundar

prabhatsuman said...

आपको पहली बार पढ़ा। अच्छा लगा। इलाज के बगैर मरती है सुंदर की भौजाई। दिल को छू लेने वाली पंक्ति है।
मैं भी (डालटनगंज) झारखंड से हूं। पेशा भी आपका ही है। मुहल्ला भी वसुंधरा, गाजियाबाद का है।

Ek ziddi dhun said...

ख़ैर, तुम अपनी सुनाओ
सब सही है, सलामत है
या फिर,
कोई कयामत है?
hal kahte aur poochte dar lagta hai, ab to duniya bhar ham jaiso ka ek hi haal hai..


duniya bani hai unka ganv
ढूंढ़ रहा हूं अपनी ठांव।

manjula said...

Aapki kavitaye sach mei dil ko chuti hai. Aabhari hoon ek ziddi dhun ki jnke blog badaulat aap tak pahunchi.