जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
'जिरह' की किसी पोस्ट पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।

Thursday, April 30, 2009

ब्लॉगर साथियो से अपील

साथियो,
अभिनीत मेरा भांजा है। उम्र से महज 12 साल, पर बुद्धि से 21 साल वालों बड़ा। पटना में रहता है। सेवेंथ का स्टूडेंट है। बगैर किसी की मदद के उसने बना लिया है अपना ब्लॉग। खास बात यह कि उसे ब्लॉग बनाने की प्रेरणा मिली अपनी मां को ब्लॉगिंग करते देख, जो पेशे से डॉक्टर हैं। कहना पड़ेगा एक बार फिर कि वाकई किसी बच्चे की पहली शिक्षिका मां ही होती है। एक बाल मन का ब्लॉग कैसा होता है - देखना हो तो एक बार जरूर देखें : गिरह
मेरी गुजारिश है कि गिरह पर जाकर अपनी राय से अभिनीत को जरूर अवगत कराएं। जाहिर है इससे उसका हौसला बढ़ेगा।

3 comments:

Akhileshwar Pandey said...

अनुराग भाई,
बधाई। बडा ही तेज है आपका भानजा। आप जिस उम्र में पता नहीं क्‍या-क्‍या नहीं कर पाते होंगे इसने तो इतना बडा काम कर दिया। सराहनीय। शुभकामना। बधाई।

अनूप शुक्ल said...

भांजा अच्छा लिखता है। उसके ब्लाग से वर्ड वेरीफ़िकशन हटवा दें तब टिपियाने में और अच्छा लगेगा।

Udan Tashtari said...

अभी जाते हैं जनाब उनके पास.