ब्लॉग बाइट की ताजा किस्त के साथ हाजिर हूं मेरे दोस्तो। वादे के मुताबिक इस बार चर्चा की गई है अपनी पोस्ट के बीच किसी संदर्भ के लिंक लगाने के तरीके की। तो देखें यह काम है कितना आसान।
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पेशकश : अनुराग अन्वेषी at 11:21 AM
Labels: नवभारत टाइम्स, न्यू पोस्ट, पोस्ट, ब्लॉग, ब्लॉग बाइट, लिंक
8 comments:
अनुराग जी आप की ये पोस्ट बहुत ही लाभप्रद है ब्लागर समूह के लिए। वैसे तो मैंने इसे एक हिन्दी दैनिक में सुबह ही पढ़ लिया । अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद।
जानकारीपूर्ण आलेख दिया है आपने नवभारत में. आभार.
क्या अब भी आपकी पोस्ट पर पाठकों के कॉमेंट का सिलसिला शुरू नहीं हुआ। अरे भाईजान, ब्रह्मास्त्र चलाइए। अपना नाम बदल लें और तस्वीर भी निमूछी रखें। नहीं समझे! अरे जनाब, बात भले अपनी रखें, पर नाम और तस्वीर किसी" चोखेरबाली का हो। फिर देखें, टपाटप-टपाटप लोग पहुंचेंगे और टिपियाएंगे।"
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आपका लेख पढा ।पर अंतिम्ज वाक्य के इस्तेमाल का क्या औचित्य है ?यह तो हद है!
नभाटा के आपके लेख वाकई ज्ञानवर्धक होते हैं मगर 'दुमछल्ला' क्या किसी ख़ास वर्ग को चिडाने के लिए जोड़ा गया? ये सवाल इसलिय कि इस बार आपने एक ब्लोगीय महिला मंच चोखेरबाली का ज़िक्र करते हुए कहा कि
बात भले अपनी रखें, पर नाम और तस्वीर किसी" चोखेरबाली का हो। फिर देखें, टपाटप-टपाटप लोग पहुंचेंगे और टिपियाएंगे।"
क्या वाकई असा समझते हैं कि केवल महिला- नामी या महिला-तस्वीरी ब्लॉग होने bhar से ब्लॉगजगत में जगह बनाई जा सकती है?
पहली बार आपका लिखा दुखी कर गया सर। मेरी पहेली पोस्ट पर बीस टिप्पणियां मिलीं, दूसरी पर दस - तो क्या सिर्फ इसलिए कि वह एक लड़की का ब्लॉग है? नहीं सर, आप गलत सोचते हैं। लिखे कोई भी, अगर उस लिखने में बिचार होंगे, तो लोग पसंद तो करेंगे ही, टिप्पणियां भी देंगे।
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अमें अन्वेषी मियाँ..
यहाँ पर टिप्पणी ठोकने के लिये भी बड़ा अन्वेषण करने का झाम है..
ईश्वर करे कि आपको फ़ुरसत न ही मिले..
कोई रंज नहीं, ग़र यह कमेन्ट ही न दिखे..
आपका ब्लॉग हिन्दी के लिए रत्न के समान है. एक दृष्टि में ही सब कुछ साफ़ तौर पर समझ आ रही है.
kuchh stree blogger kee baaten kuchh likhwane ko utprerit kar rahee hain
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