बिन मौसम मुझे याद तेरी क्यों आई
हां री सजनी, अब हो गई तेरी सगाई
न कर नम अपनी ये प्यारी-प्यारी आंखें
हां री सजनी, दुआएं लिए खड़ी है माई
चल उठ, छोड़ अतीत देख अब सिर्फ आगे
हां री सजनी, मत कह अब दुहाई है दुहाई
मत कोस किसी को, नहीं बदलेगा कुछ भी
हां री सजनी, अब न बाप सुनेंगे न भाई
मेरी सांसों की हर आहट, भर रही है घबराहट
बता री सजनी, ये दिल क्यों निकला हरजाई
हां री सजनी, अब हो गई तेरी सगाई
न कर नम अपनी ये प्यारी-प्यारी आंखें
हां री सजनी, दुआएं लिए खड़ी है माई
चल उठ, छोड़ अतीत देख अब सिर्फ आगे
हां री सजनी, मत कह अब दुहाई है दुहाई
मत कोस किसी को, नहीं बदलेगा कुछ भी
हां री सजनी, अब न बाप सुनेंगे न भाई
मेरी सांसों की हर आहट, भर रही है घबराहट
बता री सजनी, ये दिल क्यों निकला हरजाई
2 comments:
बतायें तो बताईयेगा!! :)
अच्छी रचना है...
***राजीव रंजन प्रसाद
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