पिछले कई दिनों से इस सत्रह मार्च का मैं बेसब्री से इंतजार कर रहा था। रोज जीटॉक के स्टेटस मेसेज में इस दिन के इंतजार में मेसेज बदल रहा था। संगी-साथी पूछ रहे थे कि क्या मामला है। मैं क्या बताता उन्हें। डरा मैं भी था कि श्रीमती जी ने कहीं टिकट कैंसल करा दिया तो? बहरहाल, श्रीमती जी सोलह मार्च की शाम मायके गईं। चैन के सात दिन गुजारूंगा। जब से दिल्ली आया। घर में अकेला रहने को तरस गया। इस बार जब से टिकट कटा, दिन काटने मुश्किल हो गए थे। सत्रह तारीख का बेसब्री से इंतजार करता रहा। सोलह की शाम उन्हें ट्रेन में बैठा, दफ्तर आया। वीकली ऑफ होने के बावजूद किसी और दिन दफ्तर आना थकान पैदा कर देता था। पर सोलह को ऐसा कुछ नहीं हुआ। बिल्कुल तरोताजा रहा। घर आया और देर तक इस खुशी को महसूस करता रहा। इन सात दिनों में कोशिश होगी कि अपने इन खूबसूरत दिनों का ब्यौरा यहां पेश करता रहूं। फिलहाल तो ब्लॉगिंग की भी इच्छा नहीं हो रही है। यह तो पहले भी करता रहा। इसके लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। हां चलता हूं टीवी देखूंगा। आज मुझे कौन रोकेगा भला। :-)
Thodi si Bewafai....
4 years ago
9 comments:
पत्नी को क्या बिल्कुल भी पता नहीं है आपके ब्लॉग के बारे में??
बड़े हिम्मती हो भाई..हम तो ऐसे उत्सवों पर लिख ही नहीं सकते बस मन ही मन आपसे जल ले रहे हैं. :)
बधाई..
खैर मानिए.. श्रीमती जी ये पढ़ नहीं ले.. :)
khushnaseeb hai aap!
और तो जो भी हो सर पर कार्टून बहुत मस्त हैं। लगता है आप भी इतने ही मस्त हो रहे हो।
biwi k jane par aapne itna suspense create kar diya ki me bhi padne ko utsuk ho gaye ki akhir kya hoga 17 march ko .
good sir umeed nahi thi ki wakai biwi ke jane ka itna acha suspense create kiya apne ki me bhi padne ko utsuk ho gaye.
कहीं भाभी भी तो यही नहीं सोंच रही हैं ?
आजादी मुबारक हो... लेकिन कब तक बकरे की माँ खैर मनायेगी?
:)
sir ab masti bhul jayie me to yahi gana dedicate karna chati hu sukh bahre din beete re bhaiya ab dukh ayo re.
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