विवेक ने एक बेहद खूबसूरत कविता लिखी है। यह कविता उसने हरियाणा से लौटने के बाद लिखी थी। शीर्षक है - कत्ल से पहले बहनें, बहनों के कत्ल के बाद। उसके ब्लॉग 'थोड़ा सा इंसान' पर 27 जुलाई की पोस्ट है यह। बेशक संवेदना को झकझोर कर रख देने वाली कविता है। आप भी सुनें। पर सिर्फ सुने ही नहीं, बल्कि यह भी सोचें कि यह जो भाई नाम का जीव है वह बहनों के कत्ल से पहले भी मर्द है और बहनों के कत्ल के बाद भी मर्द है, आखिर क्यों? कैसे बदले यह स्थिति, कैसे बदले उसका मर्दवादी सोच?
Thodi si Bewafai....
4 years ago
6 comments:
मार्मिक रचना सुनवाने के लिए आभार!
कविता तो अच्छी थी ही उसे आवाज देकर आपने इसे एकदम गजब बना दिया है बहुत बढ़िया कंपोजिग की है अनुराग जी तकनीकी भाषा में तो मैं तारीफ नहीं कर पाऊंगी पर यह बहुत अच्छी कंपोजिंग है..।
kavita ka stayanash kar diya hai ise record karke. ya to itni achi record karte ki kavita k kuch naye ayam samne aate. nahi to kya zarurat thi kavita kharab karne ki ?
विवेक जी के ब्लॉग पे भी पढ़ आये ये संवेदनशील रचना और आपकी जुबानी भी सुनी ....भोत ही प्रभावशाली रचना है .....!!
सुन्दर कविता. और उतनी ही सुन्दर प्रस्तुति . शब्द चयन जितना सुन्दर है उतना ही प्रभाव शाली इसका प्रस्तुति करण भी है . और म्यूजिक से तो प्रभाव और भी अधिक हो गया है . आपको और लेखक को बधाई .....
आपकी आवाज बहुत अच्छी है। आमने-सामने बात करने पर ऐसा शायद नहीं महसूस होता, लेकिन यहां तो बेहतरीन है आपकी आवाज। और बैकग्राउंड में यह म्यूजिक डालकर आपने इस प्रस्तुतिकरण को और सुंदर बना दिया है।
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