जो लोग ब्लॉग को निजी डायरी मान बैठे हैं और इस नाते जो मन में आए यहां बुकड़ देते हैं; उन्हें दैनिक हिंदुस्तान में आज छपी यह खबर जरूर पढ़नी चाहिए। नई दिल्ली के विशेष संवाददाता के हवाले से यह खबर छापी गयी है। दैनिक हिंदुस्तान की इस खबर को साभार जिरह पर अपने ब्लॉगर साथियों के लिए पेश कर रहा हूं।
-अनुराग अन्वेषी
ब्लॉ
ग पर मनमर्जी की बकवास लिखने, भड़ास, कुंठाएं प्रकट करने और अपुष्ट आरोप लगाने वाले सावधान। यह मानहानि का अपराध हो सकता है जिसके लिए तीन साल की सजा तथा दो लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में ब्लॉग पर राजनीतिक पार्टी के खिलाफ अभियान चलाने वाले युवक को राहत देने से इनकार कर उसके खिलाफ दायर मानहानि की एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केजी बालाकृष्णन और पी सथाशिवम की खंडपीठ ने करल के यवक की रिट याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में कानून अपना काम करेगा। कोर्ट ने यह तर्क ठुकरा दिया कि ब्लॉग पर लिखे गये शब्द ब्लॉगर्स समुदाय के लिए ही थे, सार्वजिनक नहीं। इस संबंध में साइबर कानून के विशेषज्ञ पवन दुग्गल कहते हैं कि ब्लॉग लिखने वालों को अपनी सीमा में रहना चाहिए। ब्लॉग एक सार्वजनिक स्थल है जिस पर लिखी गई हर बात सार्वजनिक होती है। आईटी एक्ट में इसके दुरुपयोग पर रोक है। इस कानून में ब्लॉगर को 'इंटरमीडियरी सर्विस सोर्स' की श्रेणी में रका गया है जो साइट पर लिखी हर बात के लिए नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर की तरह जिम्मेदार होता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आप किसी की मानहानि नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि ब्लॉग सार्वजनिक स्थल है इसलिए इसमें कही गई कोई भी बात आपराधिक और सिविल मानहानि का कारण बन सकती है। आपराधिक मामले में मानहानिकर्ता को तीन साल की सजा तथा दो लाख रुपये जुर्माना हो सकता है। युवक ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी और कहा कि उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द की जाए क्योंकि ब्लॉग पर पोस्ट किए गए कमेंट ब्लॉगर्स समुदाय के लिए थे, सार्वजनिक नहीं।
7 comments:
ब्लाग निजि डायरी को सार्वजनिक करना है। फिर उस पर टिप्पणियों के प्रकाशक हम ब्लागर हैं। इस लिए हमारे लिखे और हमारे द्वारा प्रकाशित किए गए की जिम्मेदारी तो हमें उठानी पड़ेगी।
अब जुबान औ लेखन दोनों की संभलेगा। सही निर्णय है।
Yah bada aawashyak tha.Bahut sahi hua.
स्वतंत्रता की सीमायें निर्धारित होना अति आवश्यक है .
अनुराग जी ब्लॉग अपने विचारों से रूबरू करने का सशक्त माध्यम है, इसमें इतनी ताकत है की ये लोकतंत्र का ५वा पिलर बनने की क्षमता रखता है...
इस शक्ति का सही तरीके से प्रयोग करना चाहिए....
अनुराग, तुम्हारे ब्लॉग पर हर जरुरी बात दिखाई पड़ती है. हिंदुस्तान की कटिंग्स से बहुत सारे ब्लॉगर्स की आँखें खुल सकेंगी जिन्होंने ब्लॉग को निजी डायरी मान लिया था. तुमने लोक कल्याण का काम किया है.
- सुशील अंकन -
धन्यवाद...
आगे से ध्यान रखूंगा।
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