tag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post5622597285518878967..comments2023-03-27T20:59:21.549+05:30Comments on जिरह: उसका सुख मेरे सुख से बड़ा कैसे?अनुराग अन्वेषीhttp://www.blogger.com/profile/09263885717504488554noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post-73760958544413550322009-08-27T20:59:58.180+05:302009-08-27T20:59:58.180+05:30कुछ वर्षों पूर्न जब मैं सुरत/गुजरात में था, मैं जि...कुछ वर्षों पूर्न जब मैं सुरत/गुजरात में था, मैं जिनके यहां पेइंग गेस्ट था उनके मकान में कुछ काम चल रहा था। जब मजदूर दोपहर को खाना खाकर कुछ दे्र सुस्ता रहे थे, एक मजदूर वहां पड़े रद्दी अंग्रेजी अखबार को निकाल कर देख रहा था। मैने मजाख में पूछ लिया मामा क्या पढ़ रहे हो? पढ़ना आता है या यूं ही? <br />मामा ने फर्राटे से वह अंग्रेजी अखबार मुझे पढ़ कर सुना दिया, बाद में पता चला वह भी एम ए पास था।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post-65027011870785823312009-08-15T21:39:36.627+05:302009-08-15T21:39:36.627+05:30आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस ...आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-<br /> रचना गौड़ ‘भारती’रचना गौड़ ’भारती’https://www.blogger.com/profile/14295502379920849897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post-13200603734451224842009-07-31T09:53:44.672+05:302009-07-31T09:53:44.672+05:30एक बार मेरी मुलाकात ऐसे ही एक ऑटो चालक से हुई। उनक...एक बार मेरी मुलाकात ऐसे ही एक ऑटो चालक से हुई। उनकी शिक्षा का तो नहीं पता लेकिन उन्हें इतिहास का जबर्दस्त ज्ञान था। <br />वाकई व्यवस्था बहुत जालिम हो चुकी है।Aadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post-55917807872529538352009-07-29T14:18:52.608+05:302009-07-29T14:18:52.608+05:30क्या हम उस व्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं?क्या हमने म...क्या हम उस व्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं?क्या हमने मौका मिलते ही विदेश जाने और फुर्सत मिलते ही सो जाने की आदत नहीं बना ली है? <br />खैर मनीराम ने तो व्यवस्था से पार पाने का तरीका निकल ही लिया पर हम सिर्फ कोस रहे हैं?Siddharth Raihttps://www.blogger.com/profile/09829380975877133206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post-82078675807046186422009-07-29T13:42:24.456+05:302009-07-29T13:42:24.456+05:30कभी एक शेर लिखा था अनुराग जी.....वही अर्ज कर रहा ह...कभी एक शेर लिखा था अनुराग जी.....वही अर्ज कर रहा हूँ...क्यूंकि कहने को मेरे पास भी कुछ नहीं है ....<br /><br />"रोटी दाल की फ़िक्र में गुम गये<br />मुफलिसी ने कितने हुनर जाया किये "डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post-36717185541608775042009-07-29T06:39:45.960+05:302009-07-29T06:39:45.960+05:30मणिराम ने आप को रिक्षे से एक स्थान से दूसरे तक पहु...मणिराम ने आप को रिक्षे से एक स्थान से दूसरे तक पहुँचाया। क्या उस का श्रम इतना कमजोर था कि उस पर व्यवस्था को शर्म आए। हम श्रम को हमेशा नीचा क्यों समझते हैं? उसे बराबरी का दर्जा क्यों नहीं देते? व्यवस्था का दोष तो इस में है कि वह श्रम को निचले दर्जे का मानती है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post-84780652272820693522009-07-29T03:56:19.402+05:302009-07-29T03:56:19.402+05:30बहुत सुंदर, असरदार पोस्ट.बहुत सुंदर, असरदार पोस्ट.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/06852915599562928728noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post-43181901948483552672009-07-28T23:27:23.119+05:302009-07-28T23:27:23.119+05:30सब व्यवस्था का दोष है .. एक के दोष का फल दूसरा भ...सब व्यवस्था का दोष है .. एक के दोष का फल दूसरा भुगतने को मजबूर है।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8050314914188642244.post-26785068618106702342009-07-28T23:02:17.069+05:302009-07-28T23:02:17.069+05:30चरमराई व्यवस्था के चलते ऐसे मणिराम गली गली घूम रहे...चरमराई व्यवस्था के चलते ऐसे मणिराम गली गली घूम रहे हैं, कोई देखने सुनने वाला नहीं. आपका साधुवाद आप सामने लाये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com