जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
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Wednesday, March 17, 2010

आजादी की पहली सुबह

पिछले कई दिनों से इस सत्रह मार्च का मैं बेसब्री से इंतजार कर रहा था। रोज जीटॉक के स्टेटस मेसेज में इस दिन के इंतजार में मेसेज बदल रहा था। संगी-साथी पूछ रहे थे कि क्या मामला है। मैं क्या बताता उन्हें। डरा मैं भी था कि श्रीमती जी ने कहीं टिकट कैंसल करा दिया तो? बहरहाल, श्रीमती जी सोलह मार्च की शाम मायके गईं। चैन के सात दिन गुजारूंगा। जब से दिल्ली आया। घर में अकेला रहने को तरस गया। इस बार जब से टिकट कटा, दिन काटने मुश्किल हो गए थे। सत्रह तारीख का बेसब्री से इंतजार करता रहा। सोलह की शाम उन्हें ट्रेन में बैठा, दफ्तर आया। वीकली ऑफ होने के बावजूद किसी और दिन दफ्तर आना थकान पैदा कर देता था। पर सोलह को ऐसा कुछ नहीं हुआ। बिल्कुल तरोताजा रहा। घर आया और देर तक इस खुशी को महसूस करता रहा। इन सात दिनों में कोशिश होगी कि अपने इन खूबसूरत दिनों का ब्यौरा यहां पेश करता रहूं। फिलहाल तो ब्लॉगिंग की भी इच्छा नहीं हो रही है। यह तो पहले भी करता रहा। इसके लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। हां चलता हूं टीवी देखूंगा। आज मुझे कौन रोकेगा भला। :-)

9 comments:

Udan Tashtari said...

पत्नी को क्या बिल्कुल भी पता नहीं है आपके ब्लॉग के बारे में??

बड़े हिम्मती हो भाई..हम तो ऐसे उत्सवों पर लिख ही नहीं सकते बस मन ही मन आपसे जल ले रहे हैं. :)


बधाई..

कुश said...

खैर मानिए.. श्रीमती जी ये पढ़ नहीं ले.. :)

Unknown said...

khushnaseeb hai aap!

poonam pandey said...

और तो जो भी हो सर पर कार्टून बहुत मस्त हैं। लगता है आप भी इतने ही मस्त हो रहे हो।

anuradha said...

biwi k jane par aapne itna suspense create kar diya ki me bhi padne ko utsuk ho gaye ki akhir kya hoga 17 march ko .

anuradha said...

good sir umeed nahi thi ki wakai biwi ke jane ka itna acha suspense create kiya apne ki me bhi padne ko utsuk ho gaye.

Manoj Sinha said...

कहीं भाभी भी तो यही नहीं सोंच रही हैं ?

सागर नाहर said...

आजादी मुबारक हो... लेकिन कब तक बकरे की माँ खैर मनायेगी?
:)

anuradha said...

sir ab masti bhul jayie me to yahi gana dedicate karna chati hu sukh bahre din beete re bhaiya ab dukh ayo re.