विवेक ने एक बेहद खूबसूरत कविता लिखी है। यह कविता उसने हरियाणा से लौटने के बाद लिखी थी। शीर्षक है - कत्ल से पहले बहनें, बहनों के कत्ल के बाद। उसके ब्लॉग 'थोड़ा सा इंसान' पर 27 जुलाई की पोस्ट है यह। बेशक संवेदना को झकझोर कर रख देने वाली कविता है। आप भी सुनें। पर सिर्फ सुने ही नहीं, बल्कि यह भी सोचें कि यह जो भाई नाम का जीव है वह बहनों के कत्ल से पहले भी मर्द है और बहनों के कत्ल के बाद भी मर्द है, आखिर क्यों? कैसे बदले यह स्थिति, कैसे बदले उसका मर्दवादी सोच?
Thodi si Bewafai....
3 years ago