मन की बात बोलना कोई मर्ज नहीं
मुझसे कुछ भी बोलो, कोई हर्ज नहीं
सीधेपन पर मेरे तुम मत करो शक
घटनाएं याद हैं, नाम कोई दर्ज नहीं
हां यह सही है कि मैं जिद्दी हूं बहुत
उतारूंगा सारे, रखूंगा कोई कर्ज नहीं
जरूरी नहीं कि तुम रखो मेरा ख्याल
लगे जो मजबूरी, वह कोई फर्ज नहीं
अनगढ़ रास्तों पर मैंने चलना सीखा
पर अपनायी अब तक कोई तर्ज नहीं
ला दे मुझको तू अपनी सारी उदासी
कि यह हक है मेरा, कोई अर्ज नहीं
मुझसे कुछ भी बोलो, कोई हर्ज नहीं
सीधेपन पर मेरे तुम मत करो शक
घटनाएं याद हैं, नाम कोई दर्ज नहीं
हां यह सही है कि मैं जिद्दी हूं बहुत
उतारूंगा सारे, रखूंगा कोई कर्ज नहीं
जरूरी नहीं कि तुम रखो मेरा ख्याल
लगे जो मजबूरी, वह कोई फर्ज नहीं
अनगढ़ रास्तों पर मैंने चलना सीखा
पर अपनायी अब तक कोई तर्ज नहीं
ला दे मुझको तू अपनी सारी उदासी
कि यह हक है मेरा, कोई अर्ज नहीं
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