जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script)

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जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।
'जिरह' की किसी पोस्ट पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।

Wednesday, May 27, 2009

आप भी देखें मेरी दुर्दशा


रमणजीत के हर इलस्ट्रेशन में एक नई चमक दिखती है, एक नया आयाम दिखता है। उन्होंने मेरे आग्रह पर यह इलस्ट्रेशन तैयार किया। और सच कहूं तो इस इलस्ट्रेशन को देखने के बाद मेरा परिचय मेरे चेहरे की कुछ लकीरों से हुआ। कितना रोमांचक होता है अपने चेहरे को दूसरे के ब्रश से जानना! वाकई, रमणजीत बढ़िया कलाकार हैं।

Thursday, May 7, 2009

मत करें दान, करें मतदान

गीदड़ कहता शेर से
नया जमाना देख
एक वोट तेरा पड़ा
मेरा भी है एक

पता नहीं किसकी पंक्तियां हैं यह। पर यह सच है कि वह जमाना लद गया जब शेर जैसे लोग बाकी तमाम लोगों को गीदड़ सरीखा समझते थे। अपनी गीदड़ भभकियों से सबको डराते फिरते थे। साथियो, लोकतंत्र का यह पर्व इस बार हमारे लिए शर्मनाक हादसा न बने, इसके लिए बेहद जरूरी है कि हम अपनी खोल से बाहर निकलें। विचार करें, अंधों की जमात में बैठे किस काने राजा को वोट देना है। ऐसे ही बदलेंगी स्थितियां। आज अंधों में काना राजा दिख रहे हैं कल कानें राजाओं के बीच आंख वाले सेवक दिखलायी देंगे। इस बदल रही व्यवस्था को पूरी तरह हम और आप ही बदल सकते हैं इसलिए वाकई यह जरूरी है कि तमाम जरूरी काम को हाशिये पर रख इस जरूरी महापर्व में हम शरीक हों। अंत में कहना सिर्फ इतना है कि मत करें दान, करें मतदान।

Wednesday, May 6, 2009

संकोच में फंस गया हूं

नमिता जोशी मेरी अच्छी दोस्त हैं। उन्होंने मुझे एक मेल किया और जिद ठान ली कि इसे मैं पोस्ट के रूप में अपने ब्लॉग पर डालूं। संकोच के साथ मैं उनकी इस जिद भरी गुजारिश पूरी कर रहा हूं।

-अनुराग


आज आप सब लोग जिरह के सरताज अनुराग अन्वेषी जी को जन्मदिन की शुभकामनाये दे सकते हैं. आज ही के दिन इस कलाकार ने इस धरती पर कदम रखा था. शब्दों के जादूगर अनुराग को मेरी ओर से happy Birthday .. इसके साथ ही आज के दिन आप सब यह भी बताये की अनुराग जी के बारे में आप क्या सोचते हैं...
-namita

Sunday, May 3, 2009

आगरा हो या दिल्ली : हालात हर जगह एक से हैं

नमिता शुक्ला को दिल्ली आए हुए अब साल भर होने जा रहा है। स्वभाव से वह निर्भीक हैं और पेशे से पत्रकार। वह मानती हैं कि डर नाम का भाव हम सबों के भीतर बसा होता है। और कोई भी छोटी-सी घटना उस डर को उभार सकती है। तकरीबन दो साल पहले आगरा के एक अखबार से बतौर क्राइम रिपोर्टर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। वहां वह फोटोग्राफर की भूमिका भी निभाती थीं। आगरा का एक संस्मरण वह यहां शेयर कर रही हैं।

-अनुराग अन्वेषी

बा

त दो साल पहले की है, मैंने आगरा में नौकरी ज्वॉइन की थी। रहने का ठौर मिला था मौसी के पास। मेरे घर के लोग भी इतमिनान में थे कि चलो, बेटी अपनी मौसी के घर में रह रही है। मौसी का घर सिकंदरा में था जबकि मेरा ऑफिस संजय प्लेस में। दिन भर की नौकरी बजा कर रात तकरीबन 8 बजे घर लौटती थी अपनी एक्टिवा बाइक से। सब कुछ सामान्य चल रहा था। एक रोज मुझे ऑफिस से निकलने में थोडी देर हो गयी। तकरीबन 8:30 बजे मैं घर के लिए निकली। सिकंदरा हाइवे से होते हुए घर जा रही थी।

थोडी देर बाद ही मुझे लगा कि कोई गाड़ी मेरा पीछा कर रही है। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मेरा शक सही निकला। एक टाटा सूमो में बैठे कुछ लोग मेरा पीछा कर रहे थे। मैंने अपनी एक्टिवा की स्पीड बढ़ा दी। इसके साथ ही टाटा सूमो की भी स्पीड बढ़ गयी। अनिष्ट की आशंका से पलक झपकते ही मेरा मन बुरी तरह घबरा गया। बगैर विचारे मेरी गाड़ी की स्पीट 70-80 होने लगी। पर यह काफी नहीं थी। सूमोसवार मेरी बगल में पहुंच चुके थे। उसमें से कुछ लड़के सिर बाहर निकालकर चिल्लाने लगे। उस वक्त मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे। लेकिन शायद मुसीबत सामने होती है तो हिम्मत अपने आप ही आ जाती है। मैंने गाड़ी की स्पीड और बढा दी। अपनी अब तक की लाइफ में सबसे तेज़ गाड़ी उसी दिन चलायी थी। सिकंदरा आने से कुछ पहले ही रास्ते में पंछी पेठे कि दुकान पड़ती है। मैंने देखा वहां काफी लोग खड़े हैं, दुकान पर अच्छी खासी भीड़ थी। वहां मैंने अपनी गाड़ी रोक दी। दुकान पर भीड़ देख सूमो वाले आगे निकल गये।

हिम्मत नहीं हो रही थी पर मैंने घर जाने के लिए शॉर्टकट रास्ते का इस्तेमाल किया। सकुशल घर पहुँचते ही सबसे पहले छत पर गयी और खूब रोई। मुझे उस वक्त घर के एक-एक लोग बेहद याद आए। उस दिन मुझे अहसास हुआ कि समाज चाहे कितना भी प्रगतिशील क्यों न हो जाए, हम लड़कियां कई बंधनों में जकड़ी हैं। असुरक्षा का टोप पहन हमें इस आजाद समाज में रहना है...